माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। इस दिन उपवास रखने से मनुष्य भूत, प्रेत, पिशाच आदि की योनि से छुटकारा मिल जाता है।
इसका व्रत करने से मनुष्य ब्रह्म हत्यादि पापों से छूट कर मोक्ष को प्राप्त होता है
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माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा गया है, इसे भूमि एकादशी भी कहते हैं। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है।इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को नीच योनि से मुक्ति मिलती है एवं मृत्यु के बाद भूत-प्रेत नहीं बनना पड़ता है।
जया एकादशी प्राणी के इस जन्म एवं पूर्व जन्म के समस्त पापों का नाश करने वाली उत्तम तिथि है। इतना ही नहीं,यह ब्रह्मह्त्या जैसे जघन्य
पाप तथा पिशाचत्व का भी विनाश करने वाली है । श्री विष्णु को प्रिय इस एकादशी का भक्तिपूर्वक व्रत करने से मनुष्य को कभी भी पिशाच या प्रेत योनि में नहीं जाना पड़ता और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। पदमपुराण में इस एकादशी के लिए कहा गया है कि जिसने 'जया एकादशी ' का व्रत किया है उसने सब प्रकार के दान दे दिए और सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया। इस व्रत को करने से व्रती को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है।
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