दीपावली का त्योहार भारतीय संस्कृति का गौरव है, क्योंकि दीपावली रोशनी का पर्व है और दीया प्रकाश का प्रतीक है और तमस को दूर करता है। यही दीया हमारे जीवन में रोशनी के अलावा हमारे लिए जीवन की सीख भी है।
आने वाले वर्ष को सफल और लाभदायक बनाने के लिए दीपावली देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और मां शारदा का आशीर्वाद लेने का सबसे अच्छा समय है।
For Vidhi,
Email:- info@vpandit.com
Contact Number:- 1800-890-1431
पौराणिक प्रसंग के अनुसार एकबार ऋषि दुर्वासा ने देवराज इन्द्र को श्रीहिन हाेने, ऐश्वर्यहिन होने का श्राप दे दिया । इस श्राप को फलीभूत करने के लिये माता श्रीलक्ष्मी जी अपना वास समुद्र को बना लिया । लक्ष्मी जी के बिना देवगण बलहीन व श्रीहीन हो गए। इस परिस्थिति का लाभ उठाकर दैत्यों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया । यही आक्रमण देवासुर संग्राम के नाम से प्रसिद्ध हुआ । इस संग्रम के पश्चात देवगणों की याचना पर भगवान विष्णु ने योजनाबद्ध ढ़ंग से सुरों व असुरों के हाथों समुद्र-मन्थन करवाया। समुन्द्र-मन्थन से अमृत सहित चौदह रत्नों में श्री लक्ष्मी जी भी निकलीं, जिसे श्री विष्णु ने ग्रहण किया। श्री लक्ष्मी जी के पुनार्विभाव से देवगणों में बल व श्री का संचार हुआ और उन्होंने पुन: असुरों पर विजय प्राप्त की। लक्ष्मी जी के इसी पुनार्विभाव की खुशी में समस्त लोकों में दीप प्रज्जवलित करके खुशियां मनाईं गई। इसी मान्यतानुसार प्रतिवर्ष दीपावली को श्री लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना की जाती है।
कठोपनिषद के अनुसार राजा नचिकेता अगर बार यमलोक पहुँच कर यमराज से जन्म-मरण के क्रम को समझाने का हार्दिक निवेदन किया इससे अभिभूत होकर यमराज ने नचिकेता मृत्या का रहस्य समझााय और मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का उपदेश किया । इस अमर ज्ञान को प्राप्त कर जब नचिकेता धरतीलोक पर आये तो धरतीवासी उनका स्वागत दीपोत्सव मनाकर किया ।
अपने प्रिय राजा राम की वापसी का जश्न मनाने के लिए अयोध्या की जनता ने शहर में दीप प्रज्ज्वलित किए थे। भगवान राम की वापसी को याद करने के लिए लोग दिवाली का त्योहार मनाते हैं।
Write a public review