मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जानते हैं।इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यह एकादशी मोक्ष दिलाने वाली है। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान दिया था इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
मोक्षदा एकादशी सभी एकादशियों में समस्त पापों को नष्ट करने वाली, मानसिक शांति देने वाली और पापनाशक मानी गई है।
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हिंदू धर्मशास्त्रों में मोक्षदा एकादशी व्रत सर्वश्रेष्ठ और कल्याणकारी माना गया है। मार्गशीर्ष शुक्ल ग्यारस के दिन एकादशी का उपवास व्रत के नियमों का पालन करते हुए रखने से जीवन में अशुभता का नाश होकर शुभ फलों में वृद्धि होती है।
मोक्षदा एकादशी तिथि पर पूजा-अर्चना और गीता पाठ करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मोक्ष की प्रार्थना के लिए यह एकादशी मनाई जाती है इसलिए इस तिथि पर ही गीता ज्ञान और मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इस दिन शंख, चक्र गदाधारी भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष तक पहुंचने में मदद मिलती है।
मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या करने से मिलता है, उतना ही फल सच्चे मन से इस व्रत को करने से मिलता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना गया है।
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