॥ आरती प्रेतराज की कीजै ॥
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॥ आरती प्रेतराज की
कीजै ॥
दीन दुखिन के तुम रखवारे ,संकट जग के काटन हारे ।
बालाजी के सेवक
जोधा,मन से नमन इन्हें कर लीजै ।
॥ आरती प्रेतराज की कीजै ॥
जिनके चरण कभी ना हारे,राम काज लगि जो अवतारे ।
उनकी सेवा में चित्त
देते,अर्जी सेवक की सुन लीजै ।
॥ आरती प्रेतराज की कीजै ॥
बाबा के तुम आज्ञाकारी, हाथी पर करे सवारी ।
भूत जिन्न सब थत-थर
काँपे,अर्जी बाबा से कह दीजै ।
॥ आरती प्रेतराज की कीजै ॥
जिन्न आदि सब डर के मारे, नाक रगड़ तेरे पड़े दुआरे ।
मेरे संकट तुरतहि
काटो,यह विनय चित्त में धरि लीजै ।
॥ आरती प्रेतराज की कीजै ॥
वेश राजसी शोभा पाता,ढ़ाल कृपाल धनुष अति भाता ।
मैं आकर शरण आपकी,नैया
पार लगा मेरी दीजै ।
॥ इति श्री प्रेतराज आरती ॥
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