श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता हे। पद्म पुराण में इस एकादशी का बड़ी ही महत्व बताया गया है। पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है।
इस व्रत के नाम के अनुसार ही इसका फल है।यह एकादशी संतान न होने वाले मनुष्य के लिए एक खास अवसर के समान हैं, क्योंकि जिन व्यक्तियों को संतान प्राप्त होने में बाधाएं आ रही हैं या जिन्हें पुत्र प्राप्ति की कामना हो उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
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पुत्रदा एकादशी के व्रत के समान दूसरा कोई व्रत नहीं है । इस व्रत के नाम के अनुसार ही इसका फल है। जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधाएं आती हैं या जिन्हें पुत्र प्राप्ति की कामना हो उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। यह व्रत बहुत ही शुभ फलदायक होता है इसलिए संतान प्राप्ति के इच्छुक भक्तों को यह व्रत अवश्य रखना चाहिए जिससे कि उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सके।
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