अधिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
प्रत्येक एकादशी व्रत जीवन में सुख-समृद्धि की कामना व मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। लेकिन अधिक मास में व्रत-उपवास, दान-पुण्य करने का महत्व अधिक ही होता है।
शास्त्रों के अनुसार, परमा एकादशी पर दान का महत्व बहुत अधिक है। इस दिन व्यक्ति अगर धर्मिक पुस्तकों, अनाज, फल, मिठाई का दान करता है तो उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रत का पुण्य भी प्राप्त होता है।
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परम एकादशी व्रत अधिकमास में आता है और इसलिए इस व्रत का महत्व और पुण्य लाभ दोगुना हो जाता है। व्रत पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है। पुराणों में उल्लेख है कि इस व्रत को करने और इसकी कथा का वाचन करने से धन से जुड़े हर संकट दूर हो जाते हैं। यदि कोई व्रत किसी कारणवश नहीं कर पाता तो केवल कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य की दरिद्रता दूर हो जाती है। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है और परम एकादशी के व्रत करने से मनुष्य को भगवान विष्णु को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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