पुरुषोत्तम मास में अनेक पुण्यों को देने वाली एकादशी का नाम पद्मिनी है। इसका व्रत करने पर मनुष्य कीर्ति प्राप्त करके बैकुंठ को जाता है, जो मनुष्यों के लिए भी दुर्लभ है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। पूजा के समय पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा जरूर सुनी जाती है, इसके बिना व्रत को अधूरा माना जाता है।
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परसोत्तम मास या अधिकमास में पड़ने वाली पद्मिनी एकादशी लक्ष्मीपति भगवान विष्णु को समर्पित है। पद्मिनी एकादशी पर भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि जो जातक यह व्रत करता है उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है और उनके दुखों का नाश होता है। वह ख़ुशी ख़ुशी जीवन जीता है और बाद में स्वर्ग की प्राप्ति होती है. अधिकमास की तरह ये एकादशी भी तीन साल में एक बार आती है।
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