राहु दोष निवारण पूजा

ग्रहों में प्रमुख स्थान रखने वाले राहु को दैत्यों का सेनापति कहा गया है।
इनके शुभ प्रभाव से सभी प्रकार की भौतिक उपलब्धियां, सांसारिक प्रतिष्ठा, वैभव, प्रशासनिक कार्यों में कुशलता, राजनीति-कूटनीति में सफलता उत्तम स्वास्थ्य तथा सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है।
राहु के अशुभ प्रभाव के परिणाम स्वरूप ये भौतिकता की कमी तो करते ही हैं प्राणियों को व्यर्थ में कोर्ट कोर्ट कचहरी के मामलों में उलझाए रहना, गलत लोगों की संगति करना और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लाते हैं। व्यक्ति धनाढ्य परिवार में जन्म लेकर भी विपत्तियों का सामना करता है।

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Last updated Mon, 27-Jul-2020 Hindi-gujarati
पूजा के लाभ
  • राहु का अशुभ प्रभाव दूर हो जाता है।
  • आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते है ।
  • जो भी रुके हुए काम हे वो पुरे होने लगते है।
  • शारीरिक और मानसिक चिंताए दूर होती है।
  • आत्मविश्वास बढ़ जाता है।

पूजाविधि के चरण
00:50:12 Hours
स्थापन
1 Lessons 00:00:00 Hours

  • राहु के स्थापन के लिए एक चौकी पर काला वस्त्र बिछाकर काले तिल का नैऋत्य में सूर्याकार (छाज ,सूपड़ा आकर ) में १२ अंगुल मंडल में दक्षिणमुख राहु की मूर्ति, फोटो या यन्त्र रखकर काले चन्दन से तिलक करना है फिर काले पुष्प और काले अक्षत से पूजन करना है ।

    स्थापन मंत्र :-
    ॐ (ह्रीं) भूर्भुव: स्व: राठिना पुरोद्भव पैठीनस गोत्र कृष्ण वर्ण भो राहो इहागच्छ इहतिष्ठ। ॐ राहवे नम:। राहमावाहयामि ,स्थापयामि।
    राहु के १८००० जप करने है। या ब्राह्मण के पास करवाना है।
    न्यास ,ध्यान पूजा करके राहु अष्टोत्तर नामावली से १०८ बार आहुति देकर हवन करना है।
    00:08:22
  • अत्राद्य महामांगल्यफलप्रदमासोत्तमे मासे, अमुक मासे ,अमुक पक्षे,अमुक तिथौ , अमुक वासरे ,अमुक नक्षत्रे , ( जो भी संवत, महीना,पक्ष,तिथि वार ,नक्षत्र हो वही बोलना है )........ गोत्रोत्पन्न : ........... सपरिवारस्य सर्वारिष्ट निरसन पूर्वक सर्वपाप क्षयार्थं, दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, श्रुति स्मृति पुराणतन्त्रोक्त फल प्राप्तयर्थं, सकल मनोरथ सिध्यर्थ राहु दोष निवारण पूजा करिष्ये। 00:08:22

  • न्यास:-
    ॐ क्यान इति मंत्रस्य वामदेव ऋषि : गायत्री छंद: राहु देवता क्यानेति बीजं शचिरति शक्ति: राहु प्रीत्यर्थे जपे विनियोग।
    ॐ वामदेव ऋषये नम: शिरसि गायत्री छंद से नम: मुखे।
    राहु देवताये नम: हृदये।
    क्यान इति बीजाय नम: गुह्यो शचीरती शक्तये नम: पादयो।
    ॐ क्यान इत्यंगुष्ठाभ्यां नम:।
    ॐ चित्रेति तर्जनीभ्यां नम:।
    ॐ आभूवेति मध्यमाभ्यां नम:।
    ॐ दुति सदा वृध इत्यनामिकाभ्यां नम:।
    ॐ सखा क्या इति कनिष्टिकाभ्यां नम:।
    ॐ शचिष्ठया वृतेति करतलकर पृष्ठाभ्यां नम:।
    ॐ क्यान इति शिरसे स्वाहा ॐ आभुव इति शिखाय वषट।
    ॐ दुति सदा वृद्ध इति कवचाय हुम्।
    ॐ सखाकया इति नेत्रत्रयाय वौषट।
    ॐ शचिष्ठयां वृता इत्य स्त्राय फट।

    ध्यान मंत्र :-
    ह्रीं अर्धकायं महा वीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम।
    सिंहिका गर्भसम्भूतं तं राहु प्रणम्यामाहम।।

    राहु का पौराणिक मंत्र :-
    १) ऊँ अर्धकायं महावीर्य चन्द्रादित्यविमर्दनम:।
    सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।
    २) ॐ रां राहवे नम:।

    तांत्रोक्त मंत्र :-
    १) ऊँ ऎं ह्रीं राहवे नम:।
    २) ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।
    ३) ऊँ ह्रीं ह्रीं राहवे नम:।

    राहू का गायत्री मंत्र :-
    ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहू: प्रचोदयात्।

    वैदिक मंत्र :-
    ॐ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा कयाशश्चिष्ठया वृता।
    मंत्र की जप संख्या अठ्ठारह हजार होनी चाहिए और इसके दशांश का हवन करवाना हैं।
    हवन में दूर्वा का प्रयोग अधिकाधिक करना हैं।
    हवन पूजा ख़तम होने के बाद आप को निम्न लिखित कोई भी राहु की वास्तु का दान करना है।

    राहु से सम्बंधित दान :-
    सप्तधान्य, तिल, भूरे रंग के वस्त्र, गोमेद, काला उड़द अथवा मूंग की दाल, सीसा, कालाघोड़ा, ताम्रपात्र, तेल, नीलेवस्त्र, नारियल तथा कंबल आदि का दान करना हैं।
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  • राहु स्तोत्र
    राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
    अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥ १ ॥
    रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।
    ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥ २ ॥
    कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।
    विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥ ३ ॥
    ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।
    यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।
    विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥ ५ ॥
    ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् ।
    सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥ ६ ॥

    ॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
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  • तिल की बनी हुई वस्तु / मिक्स मिठाई 00:08:22
पूजन सामग्री
  • बाजोठ -१
  • राहु की मूर्ति या फोटो
  • काला कपडा - सवा मीटर
  • काले - नीले फूल
  • सुपारी
  • कुमकुम ( रोली ) - १० ग्राम
  • चावल - १० ग्राम (काले)
  • अबीर -१० ग्राम
  • गुलाल -१० ग्राम
  • पंचपात्र (कटोरी)-तरभाणु(थाली)-आचमनी(चम्मच )
  • जनेऊ -१
  • गंगाजल और पानी - आवश्यकता अनुसार
  • पंचामृत - दूध ,दही, घी, शहद,शक़्कर
  • पंचमेवा - २५० ग्राम
  • पांच फल - केले,अनार,चीकू,इत्यादि
  • पांच मिठाई - ५०० ग्राम
  • राहु यंत्र -१
  • नैवेद्य - श्रद्धा अनुसार
वर्णन

वेद मंत्रों में राहु को हमेशा अपने भक्तों पर वैभव और बाहुल्य प्रदान करने को प्रस्तुत, मित्रता एवं प्रेम से परिपूर्ण, चंदन पुष्प और अक्षत से सुशोभित, खड़क धारण करने वाले, दक्षिण दिशा की ओर मुंह किए हुए भद्रासन पर आसीन चारों ओर सिद्धियों से घिरे हुए गहरे नीले रंग वाला बतलाया गया है।

राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छा होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।