राहु और केतु को, "साँप" और "सांप की पूंछ" माना जाता है। कुल १२ प्रकार के विभिन्न काल सर्प योग है, जैसे अनंत, कुलिका, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूर, घटक, विषधर और शेष नाग योग। ऐसा कहा जाता है कि, जिस व्यक्ति के कुंडली में यह दोष रहता है उसे सांपों और साँप (सर्प) से काटने के सपने देखता है।
कालसर्प दोष कुंडली में होने के लक्षण:-
यह देखा गया है की, इस योग से प्रभावित व्यक्ति का स्वभाव सामाजिक होता हैं और उन्हें किसी चीज का लालच नहीं होता है।
१) व्यापार पर बुरा असर होना।
२) ब्लडप्रेशर जैसी रक्त से संबधित बीमारियां, गुप्त शत्रु से परेशानी होना।
३) सोते समय कोई गला दबा रहा हो ऐसा प्रतीत होना।
४) स्वप्न में खुदके घर पर परछाई दिखना।
५) नींद में शरीर पर साँप रेंगता होने का अहसास होना।
६) जीवनसाथी से विवाद होना।
७) रात में बार-बार नींद का खुलना।
८) स्वप्न में नदी या समुद्र दिखना।
९) पिता और पुत्र के बीच विवाद होना।
१०) स्वप्न में हमेशा लड़ाई झगड़ा होते दिखना।
११) मानसिक परेशानी, सिरदर्द, त्वचारोग होना।
कालसर्प दोष के कई उपाय है जो इस दोष को पूरी तरह नहीं ख़त्म करते लेकिन उसका नकारात्मक प्रभाव कम करते है:-हर सोमवार को भगवान शिवा को रूद्र अभिषेक समर्पित करना।
हर शनिवार को पीपल के पेड़ को पानी डालना चाहिए जिससे काल सर्प दोष से निर्मित समस्याएं कम होती है।
रोज "महामृत्युंजय मंत्र " ( " ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।, उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ, त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥")
या " रूद्र मंत्र" का १०८ बार जाप करना, एक प्रभावी तरिका है। कुछ लोग "पंचाक्षरी मंत्र" (ॐ नमः शिवाय) का भी जाप करते है जिससे इस का बुरा असर काम होता है।
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