श्री हनुमान आरती

आरती कीजै हनुमान लला की।

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Last updated Sun, 19-Mar-2023 Hindi-gujarati
पूजा के लाभ

पूजाविधि के चरण
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पूजन सामग्री
वर्णन

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई  सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥

 ॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥

दे बीड़ा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई जात पवनसुत बार न लाई॥

 ॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥

 ॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥

पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥

 ॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥

सुर नर मुनि आरती उतारें । जय जय जय हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥

 ॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥

 ॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥

 

॥ इति श्री हनुमान आरती ॥