संकटनाशन गणेशस्त्रोत पाठ

भगवान गणेश को शुभ फलदाता है।जीवन में जब भी कोई बडी परेशानी सामने आए, कोई संकट सामने दिख रहा हो और उससे बचने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा हो तब गणेशजी की शरण में चले जाना ही सर्वोत्तम होगा।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र पाठ करें तो हर परेशानी निश्चित रूप से खत्म हो जाएगी।
इच्छाओं की पूर्ति करनेवाला औरभय दूर करनेवाला गणेशजी का यह संकटनाशन गणेश स्तोत्र बहुत प्रभावी माना जाता है।

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Last updated Sat, 29-Jan-2022 Hindi-gujarati
पूजा के लाभ
  • गणपति की कृपा जिस पर रहती है, उसके सभी संकटों का नाश हो जाता है और बिगड़े काम बनने लगते हैं ।
  • गणपति का श्रद्धा से पूजन करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और शुभता आती
  • इस पाठ को नियमित रूप से करने पर आपके सारे संकट टल जाते हैं।
  • इससे विद्याभिलाषी विद्या, धनाभिलाषी धन, पुत्र इच्छुक पुत्र तथा मुमुक्षु मोक्ष गति प्राप्त कर लेता है ।
  • गणपति स्तोत्र का जप करें तो छहः मास में इच्छित फल प्राप्त हो जाता है ।तथा एक वर्ष में पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है

पूजाविधि के चरण
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स्थापन
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  • सर्व प्रथम चौकी लगाकर उसके ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर मध्य में गणपति की मूर्ति या फोटो रखकर गणपति जी को कुमकुम ,हल्दी,चन्दन , अबीर, गुलाल,अक्षत लगाकर फूलो का हार चढ़ाये। दायी बाजु घी का लेटी बाती का दीपक जलाये। और बायीं बाजु धूपबत्ती और सामने नैवेद्य रखे।
  • अत्राद्य महामांगल्यफलप्रदमासोत्तमे मासे, अमुक मासे ,अमुक पक्षे,अमुक तिथौ , अमुक वासरे ,अमुक नक्षत्रे , ( जो भी संवत, महीना,पक्ष,तिथि वार ,नक्षत्र हो वही बोलना है )........ गोत्रोत्पन्न : ........... सपरिवारस्य सर्वारिष्ट निरसन पूर्वक सर्वपाप क्षयार्थं, दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, श्रुति स्मृति पुराणतन्त्रोक्त फल प्राप्तयर्थं, सकल मनोरथ सिध्यर्थ संकटनाशन गणपति स्तोत्र व्रत पूजा करिष्ये।
  • प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
    भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
    प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
    तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
    लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
    सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
    नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
    द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
    न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
    पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
    जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
    संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
    अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
    तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
    यह पाठ आपको १०१ / १०८ या अपनी सहूलियत के अनुसार निश्चित करके एक स्थान पर बैठकर निश्चित अवधि (दिन ११/२१/३१/ भी ले सकते है ) तक हररोज ( अनुष्ठान की तरह ) करना हे, जिससे आप इस स्तोत्र को सिद्ध कर सकते है। और गणपतिजी के आशीर्वाद से सभी मनो कामना पूर्ण होती है।
  • गुड़ और घी , बूंदी के लड्डू , या भाखरी के लड्डू
पूजन सामग्री
  • १)बाजोठ -१ नंग और २) पाटला -१ नंग
  • गणेश जी की रिद्धि सिद्धि सहित फोटो या मूर्ति -१
  • जनेऊ -१ नंग
  • धरो -दूर्वा
  • कुमकुम ( रोली ) - १० ग्राम
  • चावल - १० ग्राम
  • अबीर -१० ग्राम
  • गुलाल - १० ग्राम
  • सिंदूर१० ग्राम
  • अखंड ज्योति के लिए दिया -१ , आरती के लिए - ५
  • धुप - अगरबत्ती -१ पैकेट
  • गंगाजल और पानी - आवश्यकता अनुसार
वर्णन
सर्व देवो में गणेश जी को सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इनकी पूजा से सारे विघ्न दूर होते हैं, इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता और विघ्नविनाशक भी कहा जाता है।
गणेश भगवान बुद्धि के देवता हैं। मनुष्य को बुद्धि और बल प्राप्त होता है। भगवान गणेश जहां विराजते हैं, वहां रिद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ भी विराजते हैं। गणेश कीकृपा से घर में शुभता और संपन्नता बनी रहती है।
हर देव की तरह गणेश जी की पूजा आराधना के लिए भी कई मंत्र और स्तोत्र हैं। इन्हीं में से एक है ''संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ'' यह स्तोत्र बहुत ही सिद्ध स्तोत्र माना गया है। संकट नाशन गणेश स्तोत्र के बारे में कहा जाता है कि यह पाठ करने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है।
इस पाठ को किसी बुधवार से शुरू कर सकते हैं यदि इस पाठ को आप शुक्ल पक्ष का बुधवार से आरंभ करते हैं तो और भी शुभ रहेगा। गणेश स्तोत्र का पाठ आपको नियमित रूप से 40 दिनों तक लगातार करना है।
 अपनी किसी खास मनोकामना की पूर्ति चाहते हैं तो इसे 11 या 21 बुधवार तक या 11 या 21 दिनों तक करने का संकल्प लें । पहले दिन ही भगवान गणेश के समक्ष अपनी मनोकामना को कह दें और उनसे इसे पूरा करने की विनती करें। उसके बाद इसका पाठ शुरू करें। ध्यान रहे कि जो प्रण आपने लिया है, उसे पूरा जरूर करेंअन्यथा विपरीत प्रभाव झेलना पड़ सकता है  ।